











पारिस्थितिक एवं पादप-समाजशास्त्रीय अध्ययन
हिमाचल प्रदेश में पारिस्थितिक आकलन, पर्वतीय बांसों के क्लोनल स्टॉक का संग्रहण व स्थापना
- पर्वतीय बांसों के पारिस्थितक अध्ययन से पता चलता है कि अरूनडिनेरिया फॅलकॅटा, बान ओक और देवदार वनों, विषेषकर जहां वृक्ष छत्र प्राकृतिक रूप से टूटा है, में मामूली घने से झाड़-झंखाड़ का रूप लेता है जबकि टी.स्पेथिफलोरस देवदार, स्प्रूस तथा ओक वनों में सामान्यतः बड़े पैचों में बनता है। राज्य में पर्वतीय बांसों अर्थात् ए.फॅलकॅटा व टी. स्पेथिफलोरस की केवल दो प्रजातियों की जंगली आबादी विद्यमान है। इन दो प्रजातियों के पौधे हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों से एकत्र किए गए थे और भ्रूणधार अनुसंधान केंद्र के समीपवर्ती वनक्षेत्र तथा कोटगढ़ वन प्रभाग के कुमारसेन रेंज के अन्तर्गत छिछड़ वन क्षेत्र में प्रत्येक 2 हेक्टर क्षेत्र पर क्लोनल स्टॉक स्थापित किए गए। स्थापित किए गए क्लोनल तट स्थानीय जनता तथा कारीगरों को पौधरोपण निरूपण के तौर पर मदद करेंगे।
- जिला किन्नौर, हिमाचल प्रदेश के पूह उप प्रभाग के शीत मरूभूमियों के विभिन्न क्षेत्रों में 2700-5000 मी. के विभिन्न उन्नतांषों में अध्ययन किया गया जिससे पता चला कि 47 परिवारों और 127 पीढ़ीओं से संबंधित कुल 191 पौध प्रजातियां लबरंग क्षेत्र में, 49 परिवारों और 134 पीढ़ीओं से संबंधित 191 प्रजातियां लिप्पा असरंग क्षेत्र में, 55 परिवारों व 136 पीढ़ीओं से संबंधित 192 प्रजातियां पूह क्षेत्र, 51 परिवारो और 119 पीढ़ीओं से संबंधित 160 प्रजातियां रोपा-जियावुंग क्षेत्र में, 49 परिवारों व 105 पीढ़ीओं से संबंधित 142 प्रजातियां नामगिया क्षेत्र और 41 परिवार व 101 पीढ़ीओं से संबंधित 130 प्रजातियां हांगों क्षेत्र में हैं। अध्ययन से क्षेत्र में 114 औषधीय पौधों की मौजूदगी भी ज्ञात हुई। इन औषधीय पौधों में से, 24 प्रजातियां संकटग्रस्त पौधे की श्रेणी में आती हैं।
स्सुसोरिया गोशिपिफोरा |
अफीडरा जिरारर्डियाना |
- जिला किन्नौर, हिमाचल प्रदेश के रकछम-छितकुल वन्यजीव अभ्यारण्य में पादप-समाजशास्त्रीय अध्ययन व सर्वेक्षण किया गया और 70 परिवारों व 162 पीढ़ीओं से संबंधित 322 पौधों की प्रजातियां अभिलेखित की गई। अध्ययन में औषधीय महत्व की 98 पौध प्रजातियों की मौजूदगी भी शामिल की गई। अभ्यारण्य से संकटग्रस्त श्रेणी की 22 प्रजातियां अभिलेखित की गईं जिनमें से 3 गंभीर रूप से लुप्तप्राय: 11 लुप्तप्राय और 13 लुप्तप्राय होने की चपेट में थीं।
मेक्क्नोप्सिस अकुलेटा |
ससुरिया ओबुलेटा |
- हिमाचल प्रदेश के कोल डैम जलविद्युत परियोजना के अन्तर्गत आने वाले वन क्षेत्रों का पारिस्थितिक आकलन
- जलविद्युत परियोजना स्थलों का सर्वेक्षण संचालित किया गया था। तथापि, कोल डैम जलविद्युत परियोजना स्थल जो उप-उष्णकटिबंधीय से उप-षीतोष्ण क्षेत्र में आता है, से 77 परिवारों तथा 194 पीढ़ीओं से संबंधित 227 पौध प्रजातियों की मौजूदगी का पता चला। जब राज्य में ही सूक्ष्म-जलवायु के तौर पर विचार किया गया औषधीय महत्व के 129 पौधों की मौजूदगी अभिलेखित की गई। पौध प्रजातियां यथा -जन्थोज़ाइलम अर्माटम, ग्लोरिओसासुपर्बा, रोलियासिनेरिया, वलेरियाना जटामांसी, टैक्सस वलीचिआना संकटग्रस्त औषधीय पौधें की श्रेणी में आती हैं।
केसिया फिस्टुला |
पुनिका ग्रेनेटम |
- कालाटोप-खजियार वन्यजीव अभ्यारण्य में, 76 परिवारों तथा 218 पीढ़ीओं से संबंधित कुल पौध प्रजातियों की संख्या 232 थी। मुख्य परिवार एस्टेरसी, रोजेसी, फेबेसी, लेमिनसी, पोएसी, रेनूकुलेसी तथा पोलीगोनेसी कालाटोप-खजियार वन्यजीव अभ्यारण्य में अभिलेखित 100 औषधीय पौधों में से 7 प्रजातियां जैसे: सीनामोनुम ट्माला, डिस्कोरिया डेल्टोइडीया, पेरिस पोलीफाईला, पोडोफाईलम हेक्सेन्दृम, पोलिगुनेटुम वेरटीसिलेट्म, टेक्सेस वालीचियाना, जेनथोजाइलम अरमानेटम संकटग्रस्त औषधीय पौधें की श्रेणी में आती हैं।
पोडोफाईलम हेक्सेन्दृम |
डिजिटेलिस परपूरिया |