प्राकृतिक पुनर्जनन को प्रभावित करने वाले कारकों पर अध्ययन::राई व तोष के प्राकृतिक पुनर्जनन को प्रभावित करने वाले कारकों जिनमें बीज प्रसार, बीज अंकुरण व पौध संस्थापन शामिल है, का विस्तृत अध्ययन किया गया तथा असफल प्राकृतिक पुनर्जनन क्षेत्रों के लिए कृत्रिम पृनर्जनन की वैकल्पिक प्रणाली का राज्य वन विभागों को सुझाव दिया गया ।
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तोष के जंगल- एक झलक
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राई जंगल
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बीज अंकुरण पर अध्ययन:हिमालयन पेंसिल सेडार (जूनीपेरस पोलीकार्पोस) के बीजों में निष्क्रियता भेदन के लिए तकनीक विकसित की तथा दस हजार से अधिक पौध-उत्पाद विभिन्न संस्थानों को वितरित किये जाए रहे है ।
देवदार में आनुवंशिक परिवर्तनशीलता: देवदार की पन्द्रह समुदायों की अनुवंशीक परिवर्तनशीलता का आइसो-एनज़ाइम विष्लेषण द्वारा अध्ययन करने पर विविधता एवं विभेदीकरण, पर संयुग्मन तथा अनुवंशिक दूरियों पर शोध किया । चूंकि इन समुदायों का विभिन्न भौगोलक क्षेत्रों से उदगम हुआ तथा यह विभिन्न भूवैज्ञानिक संरचनाओं को अधिगृहीत करते हैं, तथापि एलोज़ाइमिक परिवर्तन ने समुदायिक मापदंडो के आधार पर इन आबादियों को समूह के आधार पर विभाजित करने की क्षमता दर्शाई तथा यह सारे समुदाय तीन समूहों में मिल गए ।
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